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आखिर क्यों खास है उज्जैन और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, क्यों रात में उज्जैन में नहीं रुकता कोई मंत्री? चौंका देगा रहस्य

by newzgossip
2 years ago
in Khabrein Jara Hat Ke, STATE
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आखिर क्यों खास है उज्जैन और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, क्यों रात में उज्जैन में नहीं रुकता कोई मंत्री? चौंका देगा रहस्य
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हमारे देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. उनमें से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. जो सबसे रहस्यमयी माना जाता है. आइए जानते हैं कि उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों है इतना खास. और आखिर क्यों कोई मंत्री उज्जैन में रात बिताने की हिम्मत नहीं करता है…

क्यों खास है उज्जैन
उज्जैन को पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है. बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में भी है जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं. साथ ही उज्जैन में हजारों संत ऋषि ब्राह्मण जप और तप करने आते हैं. साथ ही यहां शुद्ध नदी क्षिप्रा या शिप्रा नदी है और हर 12 वर्ष से सिंहस्थ महाकुंभ मेला भी लगता है. उज्जैन के बारे में एक खास बात यह है कि यहां पर ओखर श्मशान है जहां पर शिवजी का वास होता है. उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है.

उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे. विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले यहां एक प्रथा थी कि जो भी उज्जैन का राजा बनेगा उसकी मृत्यु निश्चित है. जिसके बाद विक्रमादित्य ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था. विक्रमादित्य ने कहा था कि राज्य की गद्दी अगर खाली भी है तो भी शासन उसी के नाम से चलेगा. तब से आजतक ये प्रथा चली आ रही है. मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन के राजा केवल महाकाल हैं. इसलिए, आज भी उज्जैन को लेकर यही मान्यता है कि यदि कोई भी वर्तमान राजा रूपी नेता अर्थात प्रधानमंत्री या जन प्रतिनिधि उज्जैन शहर की सीमा के भीतर रात बिताने की हिम्मत करता है, तो उसे इस अपराध का दंड भुगतना होता है. आखिर क्यों उज्जैन में कोई राजा नहीं रुकता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य.

महाकालेश्वर मंदिर का खास रहस्य
महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है. जहां महाकाल, राजा के रूप में साक्षात विराजमान हो, वहां कोई और राजा हो ही नहीं सकता है. जिस क्षण से महाकाल उज्जैन में विराजित हुए हैं, उस क्षण से आज तक उज्जैन का कोई और राजा नहीं हुआ है. उज्जैन के केवल एक ही शासक हैं, और वो हैं प्रभु महाकाल. पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है. क्योंकि आज भी बाबा महाकाल ही उज्जैन के राजा हैं. यदि कोई भी राजा या मंत्री यहां रात में ठहरता है, तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है.

वैज्ञानिक नजरिए से समझते हैं क्यों खास है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
भारत को हमेशा से ही ऋषि मुनियों का देश कहा गया है. उन्होंने जिन भी चीजों को बनाया या स्थापित किया है वो सभी विज्ञान के नजरिए से बहुत खास है. साथ ही इसे ऐतिहासिक भी माना जाता है. वहीं शिव मंदिरों का जुड़ना भी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है. प्राचीनकाल में उज्जैन अवंति कहलाता था, पुराने एतिहासिक दस्तावेजों में इसका यही नाम दर्ज किया गया है. यह विज्ञान और गणित की रिसर्च का प्राचीन केंद्र हुआ करता है.

भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और वाराहमिहिर जैसे गणितज्ञ और खगोलविद् ने उज्जैन को अपने शोध का केंद्र बनाया हुआ था. उज्जैन को शोध के लिए चुनने की कई वजह थीं. जैसे- यह शहर प्रधान मध्याह्न रेखा का केंद्र हुआ करता था. जिसकी मदद से भारतीय गणितज्ञ समय की गणना करते थे. दुनियाभर में मानक समय इसी रेखा से तय किया जाता है. इसे ग्रीनविच रेखा के नाम से भी जाना जाता है.

उज्जैन को चुनने की दूसरी वजह थी कर्क रेखा का मध्यान्ह रेखा का मिलना. इसलिए यह शहर ज्योतिषीय गणना के लिए उपयुक्त माना गयाा है. ज्योतिष से जुड़े गणितज्ञ उज्जैन में यह तय करते थे कि कैसे साल के सबसे बड़े दिन के बाद सूर्य दक्षिण की यात्रा शुरू करता है. अपने आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण उज्जैन को दुनिया की नाभि भी कहा गया. हिन्दुओं में आज भी चंद्र-सौर पंचांग के मुताबिक, शुभ-अशुभ देखने की परंपरा है. उस पंचांग को बनाने के लिए यहां पर लम्बे समय तक गणितज्ञों और ज्योतिषियों ने काम किया. उसके आधार पर ही भारत में व्रत और त्योहर मनाए जाते हैं.

बीज गणित और लीलावती जैसे गणितीय शास्त्रों के लेखक भास्कराचार्य उज्जैन की वेधशाला के मार्गदर्शक थे. उन्होंने धरती में ‘गुरुत्वाकर्षण बल’ की खोज उज्जैन में ही की थी. 12वीं शताब्दी में उज्जैन में रहकर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने ज्योतिष शास्त्र की अद्वितीय पुस्तक सिद्धांत शिरोमणि को लिखने का कार्य किया. प्राचीन काल से उज्जैन भारतीय काल गणना का केंद्र रहा है. खगोल वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने इसकी इस खूबी को पहचाना. यही वजह है कि धार्मिक आयोजन सिंहस्थ के लिए जिन चार जगहों को चुना गया है उसमें उज्जैन शामिल है.

महाकाल मंदिर दक्षिणमुखी क्यों है?
दक्षिण दिशा मृत्यु का प्रतिनिधित्व करती है. कहा जाता है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है. इसलिए महाकालेश्वर को पृथ्वी का अधिपति भी माना जाता है. उज्जैन में एक दक्षिणमुखी ज्‍योतिर्लिंग है. शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज जी है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति मंदिर में आकर सच्चे मन से भगवान शिव की प्रार्थना करता है, उसे मृत्यु के बाद मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि, यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करने से अकाल मृत्यु टल जाती है और व्यक्ति को सीधा मोक्ष प्राप्त होता है.

Tags: Mahakaleshwar JyotirlingMystery of UjjainWhy Mahakaleshwar Jyotirling is Specialwhy no minister stays in Ujjain at night?Why Ujjain is Special
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