§ हर इबादत में तू शामिल है यूं कि.. जैसे तेरे बिना कोई इबादत न हो।।
मेरी यादों का हर हर्फ़ तुझसे जुड़ा है… अब तू ही मेरी ज़िन्दगी को मुक़म्मल कर जा।। §
§ इन आँखों से अब वो प्यार की बरसात नहीं होती..खुद से अब पहले जैसे बात नहीं होती।।
कुछ खो गया है मेरा या कुछ था ही नही.. अब पहले जैसी सुबह और शाम नहीं होती।। §
§ ख़ुदा की रहमत और तेरे प्यार का असर था…कि मेरी हर बात तुझे लाजवाब लगती थी।।
खुश मिजाज़ हम पहले भी थे.. खुशियाँ आज भी है मगर अब नहीं है मेरे साथ खुशियाँ मनाने वाला।। §
§ मेरी आँखों में हर लम्हा तेरी यादों के बादल हैं…दिल की इस बंजर जमीं पर वेवक़्त बरसती हैं।।
हम सोते है की सपनों में तुमसे मुलाकात होगी… लेकिन कमबख्त तेरी यादें सोने ही नहीं देती।। §
§ तुझसे जुडी हर बात बाकी है, तेरे प्यार का खुमार बाकी है
कुछ तो खालीपन है इस जिंदगी में, अभी उस रात का हिसाब बाकी है।। §
§ अगर हम दिल के हाथों मजबूर ना होते तो तुम भी इतने मगरूर न होते।।
किस्मत में ही नहीं था तेरा साथ वरना तुम आज हमसे इतनी दूर ना होते।। §
§ ऐ ख़ुदा मेरे सब्र का इम्तिहान ना ले।। हो सके तो अब मेरे सामने उसका नाम ना ले।।
नफरत उससे नहीं खुद से डर लगता है बड़ी मुश्किल इस दिल को संभाला है हमने।। §
§ उसकी नजरो की हया होठों की हंसी आँखों से उतर कर दिल में समां जाती है।।
यादों का समंदर है इन आँखों में,,पलके उठा के ख़ुद ही झांक लो।। §
§ इन आँखों में बंद हर एक मोती मेरी वफ़ा की कहानी कहता है…यकीं न हो तो आसुओं का दरिया बहा दे।।
तेरी यादों से गीला है मेरे जीवन का हर पन्ना…वक़्त मिले तो कभी सुखा के तुम पढना।। §