मेरी चाहत थी तुम्हें अपना बनाना लेकिन मेरी किस्मत को ये मंजूर ना था..लेकिन मेरी किस्मत इतनी भी दगाबाज ना थी कि मुझे तुम ना मिलते..तुम मिले..कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे खुद पर, अपनी किस्मत पर नाज तो हुआ..वो वक्त मेरे जीवन का सबसे हसीन, सबसे सुनहरा वक्त था जो मैंने तुम्हारे साथ बिताया..वो वक्त आज मेरे जीने की वजह है..उन यादों के सहारे ही गुजर जाएगी ये जिंदगी धीरे-धीरे..तुम मेरे साथ नहीं हो इसका मुझे तुमसे कोई गिला-शिकवा नहीं है..लेकिन आज भी तुम्हारी याद बहुत आती है.. तुम्हारे जाने का गम आज भी मुझे खाए जाता है..मैं चाहकर भी ये नहीं मान सकता ही एक-दूसरे से अलग होना हमारा साझा फैसला था..हमारा एक फैसला जिंदगी को कहां से कहां ले जाएगा ये हमने नहीं सोचा था..लेकिन अब जिंदगी में इतने काश और शायद आ गए है कि लगता है कि जिंदगी कशमकश बन गई है..कभी लगता है शायद हम साथ रह सकते थे.. तो कभी लगता है कि काश हमने वो फैसला ना लिया होता..कभी दिल करता है कि काश कभी हमने एक दूसरे को उन बंधनों से आजाद ही ना किया होता..तो कितना अच्छा होता..हम उस हसीन वक्त को हमेशा जी सकते..हालांकि अभी भी जिंदगी कुछ बुरी नहीं है..लेकिन एक अकेलापन सा महसूस होता है..ऐसे लगता है कि दिल के एक कोने में मैं चुपचाप आज भी तुम्हारा इतंजार कर रहा हूं..इस उम्मीद के साथ कि आज नहीं तो कल तुम जरूर आओगी.. और अपनी उस मासूम सी प्यारी मुस्कुराहट से मेरे सारे रंजो ग़म खत्म कर दोगी..तुम्हारी आहट सुनकर मेरी मायूसी अपनी चादर समेट लेगी और हसीन हो जाएगी मेरी जिंदगी फिर एक बार।