तुम्हारी ये जो आंखें है ना किसी दिन मेरी जान ले लेंगी..और मेरे कत्ल का इलज़ाम तुम्हारी खूबसूरती पर आएगा कहे देता हूं मैं..फिर मुझसे शिकायत करने मत आना..कितनी बार कहा है कि इन नजरों में मेरी नजर से बचा कर रखों नजर लग जाएगी..और कसूरवार मुझे ही समझा जाएगा..कसम से जब भी मेरी नजरे तुम्हारी आखों से टकराती है तो पलके झुकने से इनकार कर देती है..हजारों हजार बार सोचा कि अब नहीं देखेंगे तुम्हारी तरफ..लेकिन खुदा गवाह कि तुम्हारे सामने आते ही दिल दगाबाज हो जाता है..और मेरी नजरे मुझसे ही बेइमानी करके अपना इरादा बदल लेती है..बता नहीं सकता किस कशमकश से गुजरता हूं उस वक्त जब तुम मेरे सामने होती हो..दिल कुछ और दिमाग कुछ और ही कहता है..और हम हमेश की तरफ तुम्हारे आगे बेबस हो जाते है।