मैं अक्सर सोचता था कि क्या कोई किसी को हद से ज्यादा, यानि बेहद प्यार, बेइंतहा मोहब्बत कर सकता है.. सच कहूं तो तुमसे मिलने से पहले ये सब मेरे लिए किताबी बातें थी जो पढ़ने में तो बहुत अच्छी लगती है लेकिन असल जिंदगी में शायद ही ऐसा होता हो.. हैरानगी तो देखो तुमसे मिलकर मेरे ख्याल बदल जाएंगे मैंने कभी नहीं सोचा था..तुमसे मिलना, तुमसे बातें करना, कुछ तुम्हारे बारे में जानना, कुछ अपने बारे में बताना, बातों का ये सिलसिला कब गहरी दोस्ती और फिर प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला..ये सिर्फ प्यार रहता तो शायत ठीक था मुश्किल तो तब हुई जब हमने आपसे बेपनाह मोहब्बत कर ली..औऱ बदले में मुझे मिला तो सिर्फ और सिर्फ प्यार, बेशुमार नहीं जिसकी मुझे चाहत थी..खैर जो तुमसे मिला वो दर्द भी मुझे उतना ही प्यारा है जितना तुमसे मिला प्यार प्यारा था..आज करीब सात साल होने को आए है मेरे दिल में तुम्हारे प्यार की वो तस्वीर अब भी हूबहू महफूज है जो तुमने सात साल पहले अपनी नाजुक सी अंगुलियों से उकेरी थी..आज भी तुम्हारी अंगुलियों का स्पर्थ ज्यों का त्यों महूसस कर सकता हूं मैं..आज भी तुम्हारा नाम सुनकर दिल की धड़कनों की तफ्तार बेकाबू होकर खुद से ही रेस लगाने लगती है..आज भी लगता है कि तुम्हें देखकर मेरी जुबां मेरा साथ छोड़ जाएगी और मैं निशब्द होकर तुम्हारी तरफ ताकता रहूंगा..तुमसे बात करने से पहले की हिचक, तुम्हें छूने से पहले हाथों का कांपना आज भी वैसा का वैसा ही अनुभव होता है मुझे..जैसा सात साल पहले था..मैं आज भी तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता हूं..लेकिन शब्द लबों तक आते ही दम तोड़ देते है..फिर दिल से कही आवाज आती है कि प्यार तो तुमने भी किया था..तो आंखों में ही क्यों नहीं पढ़ लेती मेरे बेशुमार इश्क की लिखावट..मेरे बिना कुछ कहें क्यों नहीं सुन लेती मेरे प्यार की वो दास्तां जो मेरा दिल चीख-चीख कर तुम्हें सुनाना चाहता है..खुद ही मेरे दिल पर हाथ रखकर क्यों नहीं महसूस कर लेती मेरी धड़कनों की बैचेनी को…कि ये तुमसे कितनी मोहब्बत करता है..