इस मशीन के जरिए ऑक्सीजन का स्तर धीरे-धीरे कम करके हाइपोक्सिया और हाइपोकेनिया के माध्यम से मौत दी जाती है। इस प्रक्रिया में सिर्फ 30 सेकेंड में नाइट्रोजन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है जिसकी वजह से ऑक्सीजन का स्तर 21 प्रतिशत से 1 हो जाता है और कुछ ही सेकेंड में इंसान की मौत हो जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मशीन ऐसे मरीजों के लिए मददगार है, जो बीमारी के कारण बोल नहीं पाते हैं या हिल नहीं पाते हैं। इस मशीन को यूजर को अपनी पसंदीदा जगह पर ले जाना होगा। इसके बाद मशीन का नष्ट होने योग्य कैप्सूल अलग हो जाता है, ताकि उसे ताबूत की तरह से इस्तेमाल किया जा सके।
इस मशीन को बनाने का आइडिया एक्जिट इंटरनेशनल के निदेशक और ‘डॉक्टर डेथ’ कहे जाने वाले डॉक्टर फिलीप निटस्चके ने दिया है। डॉक्टर डेथ ने बताया कि अगर कोई अप्रत्याशित कठिनाई नहीं हुई तो हम अगले साल तक इस सार्को मशीन को देश में मुहैया करा देंगे। यह अब तक बेहद महंगा प्रॉजेक्ट है, लेकिन हमें भरोसा है कि हम अब इसे सरल बनाने के बेहद करीब हैं।
गौरतलब है कि स्विटजरलैंड में आत्महत्या करने को गैरकानूनी नहीं माना जाता यहां पिछले साल 1300 लोगों ने आत्महत्या करने के लिए इस सेवा का प्रयोग किया। इसके साथ ही, इस मशीन पर सवाल खड़े होने भी शुरू हो गए हैं। लोग डॉक्टर डेथ की भी आलोचना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक गैस चेंबर की तरह से है। कुछ अन्य लोगों का यह भी कहना है कि यह मशीन आत्महत्या को बढ़ावा देती है। अत: इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।