ओमिक्रॉन पर यूके की नई स्टडी- ये स्टडी इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने की है। इसमें ओमिक्रॉन से संक्रमित 11,329 लोगों की तुलना कोरोना के अन्य वैरिएंट से संक्रमित 200,000 लोगों से गई। अध्ययन में कहा गया है, ‘इस बात के कोई साक्ष्य नहीं है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम गंभीर है।’ ये तुलना मरीजों के लक्षणों और अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों की संख्या के आधार पर की गई है।
अध्ययन के अनुसार, ओमिक्रॉन के लक्षण वाले मरीजों पर यूके में उपलब्ध वैक्सीन की दो डोज के बाद 0प्रतिशत से 20प्रतिशत और बूस्टर डोज के बाद 55प्रतिशत से 80प्रतिशत तक असर देखा गया है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से री-इंफेक्शन होने का खतरा 5.4 गुना अधिक है।
हेल्थकेयर वर्कर्स के अनुसार सार्स-कोवि-2 के पहले वैरिएंट में 6 महीने में दूसरी बार संक्रमण होने से 85प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘ओमिक्रॉन से री-इंफेक्शन के खिलाफ सुरक्षा 19प्रतिशत तक कम हो गई है।
स्पर्म काउंट पर भी असर- शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोविड-19 से ठीक के बाद कुछ लोगों के लिए स्पर्म क्वालिटी महीनों तक खराब रहती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सीमेन खुद में संक्रामक नहीं था। 35 पुरुषों पर की गई स्टडी में पाया गया कि कोरोना से ठीक होने के एक महीने बाद इनकी स्पर्म गतिशीलता 60 फीसदी और स्पर्म काउंट 37प्रतिशत तक घट गई। ये स्टडी फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी में छपी है।
कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता और स्पर्म की विशेषताओं में कोई संबंध नहीं पाया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रेंग्नेंसी की इच्छा रखने वाले कपल्स को ये चेतावनी दी जानी चाहिए कि कोविड-19 संक्रमण के बाद स्पर्म की गुणवत्ता कम हो सकती है।