एक्सपर्ट्स इसे ‘गेम चेंजिंग’ ट्रीटमेंट यानी बड़ा बदलाव लाने वाला इलाज बता रहे हैं। नए इंजेक्शन से कितना फायदा होगा, यह किन मरीजों को मिलेगा, भविष्य में इसका क्या असर पड़ेगा, जानिए इन सवालों के जवाब…आसान भाषा में समझें तो कोलेस्ट्रॉल एक चर्बी वाला चिपचिपा पदार्थ होता है जो रक्त वाहिकाओं में इकट्ठा होता है। धीरे-धीरे यह इकट्ठा होकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक और धमनियों के डैमेज होने की वजह बनता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों को इसे हर 6 माह में लगवाना होगा और उन्हें कोलेस्ट्रॉल की दवा खाने से निजात मिल जाएगी। नया इंजेक्शन लगवाने के बाद मरीजों में 50 फीसदी तक घट जाएगा कोलेस्ट्रॉल। स्वास्थ्य सचिव साजिद जाविद का कहना है, यह लाइफ सेविंग ट्रीटमेंट है जो हृदय रोगों को बढ़ने से रोकेगा। यह कोलेस्ट्रॉल की दवा स्टेटिन्स के मुकाबले ज्यादा असरदार है। इसे उन्हें भी लगाया जा सकेगा जो किसी कारणवश दवा नहीं ले सकते।
यह दवा पीसीएसके9 नाम के प्रोटीन को ब्लॉक करके ब्लड से कोलेस्ट्रॉल को हटाने में लिवर की मदद करती है। पीसीएसके9 प्रोटीन के कारण ही शरीर के अंग कोलेस्ट्रॉल को हटा नहीं पाते। नई दवा इसी प्रोटीन को ब्लॉक करती है। जैसे-जैसे कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटेगा बीमारी का खतरा भी कम होता जाएगा नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस ने शुरुआती दौर में इस इंजेक्शन के लिए 3 लाख मरीजों को ही अनुमति दी है। इनमें ऐसे मरीज शामिल हैं जिनका कोलेस्ट्रॉल लेवल काफी अधिक है, हृदय रोगों से जूझ रहे हैं या फिर हार्ट अटैक या स्ट्रोक से जूझ चुके हैं।
एक्सपर्ट्स का दावा है कि नया इंजेक्शन 30 हजार जिंदगियों को बचा सकेगा। अगले एक दशक में 55 हजार हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले रोके जा सकेंगे। इंजेक्शन में इस्तेमाल हुई दवा पर रिसर्च करने वाले इम्पीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर कौशिक रे कहते हैं, यह मरीजों के लिए बड़ी खबर है। यह उन्हें दवाओं के बोझ से राहत देगा। इसके एक इंजेक्शन की कीमत करीब 2 लाख रुपए है।
चूंकि, मरीजों को साल में दो बार इसे लगवाना है, इसलिए उन्हें करीब 4 लाख रुपए सालाना चुकाने होंगे। यूके के सरकारी आंकड़े कहते हैं, यहां हर 5 में से दो वयस्क में कोलेस्ट्रॉल का लेवल अधिक बढ़ा हुआ है। यही हृदय रोगों की बड़ी वजह है और इंग्लैंड में हर 4 में से एक मौत के लिए जिम्मेदार है। यूके में करीब 80 लोग कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए स्टेटिन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें कइयों को इसके साइड इफेक्ट जैसे-सिरदर्द से भी गुजरना पड़ता है।