आयरलैंड में ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन में स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर और रिसर्च के प्रमुख लेखक शिगेकी नाकागोम कहा कि हम जापानी आबादी के तीसरे हिस्से की खोज को लेकर अपने नतीजों के बारे में बहुत खुश हैं। प्राचीन जापान को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला जोमोन काल जो 13000 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व था। इस दौरान शिकारियों की एक छोटी आबादी द्वीप पर रहती थी। ये लोग मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे।
दूसरी यायोई काल जिसका समय 900 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक था। इस काल में किसानों ने पूर्व एशिया से जापान की ओर पलायन किया और कृषि की शुरुआत की। तीसरा कोफुन काल जिसका समय 300 ईस्वी से 700 ईस्वी तक था, जब आधुनिक जापान ने आकार लेना शुरू किया। अब तक वैज्ञानिक आधुनिक जापान के लोगों का संबंध जोमोन और यायोई काल के लोगों से मानते थे। नाकागोम ने कहा कि जोमन शिकारी पहली बार 20,000 साल पहले दिखाई दिए थे।
उन्होंने हजारों सालों तक करीब 1,000 व्यक्तियों की एक छोटी आबादी को बनाए रखा था। जापानी द्वीप समूह पर कम से कम 38,000 सालों से इंसान बसते हैं। हालांकि अधिक जापान ने करीब 3000 साल पहले आकार लेना शुरू किया। इस बदलाव को दो चरणों में बांटा जा सकता है, पहला चावल की खेती से और दूसरा शहरों में तकनीक के आने से।
शोधकर्ताओं ने प्राचीन हड्डियों को लेकर किए एक नए अध्ययन में पाया कि इनमें मिलने वाले डीएनए ने एक तीसरी आनुवंशिक उत्पत्ति की ओर इशारा किया है, जिसका संबंध कोफुन काल से था जब पूर्व अज्ञात पूर्वजों का एक समूह पलायन कर जापान आ गया था।