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जानिए उगते सूरज की भूमि ‘अरुणाचल प्रदेश’ की कुछ खास बातें

by newzgossip
3 years ago
in शिक्षा
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जानिए उगते सूरज की भूमि ‘अरुणाचल प्रदेश’ की कुछ खास बातें
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चीन की निगाह हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर रही है. ये खूबसूरत प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है. हालांकि चीन इस पर लंबे समय से अधिकार जताते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत के रूप में जानता है जबकि हकीकत ये है कि तिब्बत पर भी चीन ने गलत तरीके से कब्जा किया हुआ है. जानते हैं भारतीय गणराज्य के उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल के बारे में

अरुणाचल’ का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि यानि अरुण का अंचल. यहां की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है. पहले इस राज्य को पूर्वात्तर सीमांत एजेंसी (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) यानि नेफा के नाम से जाना जाता था. राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में भूटान, तिब्बत, चीन, और म्यांमार देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं. अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है. इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र हैं.भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है।

प्रकृति ने अरुणाचल प्रदेश को बेपनाह खूबसूरती और संपदा दी है. यहां पांच मुख्य नदियां हैं – कामेंग, सुबनसिरी, सिआंग, लोहित और तिरप, जो इस राज्य के इलाकों को घाटियों में बांटती हैं. ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन् जो लोग यहां रहते थे, उनका देश के अन्य भागों से निकट का संबंध था. अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फ़रवरी, 1826 को ‘यंडाबू संधि’ होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से मिलता है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किलोमीटर है. इसमें मुख्य तौर पर पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग रहते हैं. सियासी तौर पर यहां कई पार्टियां हैं लेकिन राज्य में बीजेपी के अगुवाई वाली एनडीए सरकार है. पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं. जो एक जमाने में कांग्रेस के नेता होते थे. अरुणाचल विधानसभा में 60 सीटें हैं, जिसमें बीजेपी के पास 48 और सहयोगी दल एनपीपी के पास 04 सीटें हैं. राज्य में दो लोकसभा सीटें हैं – अरुणाचल वेस्ट और अरुणाचल ईस्ट. दोनों पर बीजेपी का कब्जा है. किरण रिजिजू अरुणाचल वेस्ट से सांसद हैं, जो केंद्र में मंत्री भी हैं।

चीन लंबे समय से अरुणाचल के बड़े हिस्से पर दावा करता रहा है. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था. फिर चीन ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई. लेकिन इसके बाद भी चीनी सेनाएं लगातार अरुणाचल की सीमा पर गड़बड़ी और घुसपैठ की कोशिश करती रही हैं।

भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है. पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तरह इस प्रदेश के लोग भी तिब्बती-बर्मी मूल के हैं. वर्तमान समय में भारत के अन्य भागों से बहुत से लोग आकर यहाां आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियां कर रहे हैं.ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे. उनका देश के अन्य भागों से निकट का संबंध था. अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को ‘यण्डाबू सन्धि’ होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता है. पहले इसे नार्थ-ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी (नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम अरुणाचल रखा गया।

संवैधानिक रूप से ये असम का ही भाग था परन्तु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहां के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय के जरिए होती थी. फिर असम के राज्यपाल के जरिए गृह मंत्रालय ने इसे देखना शुरू किया. 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया. 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बना. अरुणाचल का अधिकांश भाग हिमालय से ढका है, ये लोहित, चांगलांग और तिरप पतकाई पहाड़ियों के बीच स्थित है।

हिमालय पर्वतमाला का पूर्वी विस्तार इसे चीन से अलग करता है. यह पर्वतमाला नागालैंड की ओर मुड़ती है. अरुणाचल प्रदेश का मौसम बदलता रहता है.यहां गर्मी तेज होती है तो ठंड कम होती है. बारिश खूब होती है. मई से लेकर सितंबर तक बारिश होती रहती है. इसी वजह से यहां एग्रीकल्चर, फल फूल और पेड़ बहुतायत में हैं।

63 फीसदी अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबंधित हैं. इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं. बाकी 35 फीसदी जनसंख्या आप्रवासियों की है, जिनमें बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणार्थी और पड़ोसी असम, नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं. भाषा की दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश एशिया का सबसे अधिक विविधतापूर्ण क्षेत्र है जिसमें 30 से 50 तक विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले रहते हैं. इनमें से अधिकांश भाषाएँ तिब्बती-बर्मी परिवार की हैं. हाल के वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में हिन्दी का प्रचलन बढ़ा है।

साक्षरता के लिहाज से ये काफी पढ़ा लिखा राज्य है. साक्षरता दर 54.74 फीसदी से ज्यादा है. आधी आबादी साक्षर है. यहां की 20 फीसदी आबादी जीववादी धर्म डोन्यी-पोलो और रन्गफ्राह का पालन करती है. मिरि और नोक्ते लोगों को मिलाकर 29 प्रतिशत हिंदू हैं. राज्य की 13 प्रतिशत जनसंख्या बौद्ध है. तिब्बती बौद्ध पन्थ मुख्य तौर पर तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों में प्रचलित है. थेरावाद बौद्ध पन्थ का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है. करीब 19 फीसदी आबादी ईसाइयों की है।

अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है. मुख्य तौर पर झूम की खेती होती है इसमें चावल, मक्का, जौ औऱ कुटू की खेती होती है. अब आलू सेब, संतरे और अनन्नास आदि पैदा करने पर भी जोर दिया जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, जौ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन शामिल हैं।

अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचाई से जुड़ी है. राज्य के 3,649 गांवों में 2,600 का विद्युतीकरण हरो चुका है. यहां जंगल ज्यादा हैं. टूरिज्म के लिहाज से इस राज्य में अकूत संभावनाएं हं. लोग यहां घूमने आते हैं. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जो यातायात और संचार व्यवस्था को मुश्किल बनाती है. यहां रेल मार्ग नहीं है केवल सड़क और वायु संपर्क है. अरुणाचल प्रदेश में 25 जिले हैं. ईटानगर राजधानी है।

Tags: Arunachal PradeshInformation about Arunachal PradeshSpecial Things about Arunachal Pradesh
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