Gayatri Mantra: गायत्री मंत्र में वो शक्ति होती है जिसकी मदद से व्यक्ति अपनी जिंदगी से जुड़ी हर समस्या को हल कर सकता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर किसी व्यक्ति को नौकरी या रोजगार में परेशानी आ रही हो तो उसे गायत्री मंत्र का जाप लाभ दे सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे गायत्री मंत्र का जाप करने से आप अपनी सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
गायत्री मंत्र का जाप कैसे करें
शुक्रवार को सबसे पहले पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री मां का ध्यान करें।
गायत्री मंत्र के आगे-पीछे श्री का संपुट लगाकर जाप करें।
रविवार का व्रत रखना और भी लाभकारी हो सकता है।
शत्रुओं से परेशान हैं तो ऐसे करें गायत्री मंत्र का जाप
मंगलवार अमावस्या या रविवार को लाल वस्त्र पहनें मां दुर्गा का ध्यान करें।
- गायंत्री मंत्र के आगेgayatrigayatri-पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार संपुट लगाकर 108 बार जाप करें।
ऐसा करने से शत्रुओ पर विजय प्राप्त होगी परिवार में एकता बढ़ेगी मित्रों से प्रेम बढ़ेगा।
गायत्री मंत्र का जाप करने से मिलते हैं ये लाभ
गायत्री मंत्र का जाप करने से सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। रोगों से मुक्ति में गायत्री मंत्र का जाप सबसे बेहतर माना गया है। इसके लिए सबसे पहले किसी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में जल भरने के बाद एक लाल आसन पर बैठ जाएं। गायंत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायंत्री मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद पात्र में भरे जल का सेवन करें। ऐसा करने से रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
हर क्षेत्र में सफलता के लिए ऐसे करें गायत्री मंत्र का प्रयोग
गायत्री मंत्र का प्रयोग हर क्षेत्र में सफलता के लिए सिद्ध माना गया है। विद्यार्थि अगर इस मंत्र का नियम अऩुसार 108 बार जाप करें तो उन्हें सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों का पढ़ने में मन लगने लगता है. सच्चे मन और विधि पूर्वक गायत्री मंत्र का प्रयोग आपके लिए कल्यणकारी साबित हो सकता है। यदि आपके जीवन में कोई भी समस्या है तो नियम और संयम से गायत्री मंत्र का जाप करें तो यकीनन आपकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
गायंत्री मंत्र जाप के नियम
गायत्री मंत्र जप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण पवित्र रखें।
गायत्री मंत्र जप करने से पहले साफ और सूती वस्त्र पहनें।
कुश या चटाई के आसन पर बैठकर जाप करें।
तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करें।
ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें और शाम को पश्चिम दिशा में मुख कर जाप करें।
गायत्री मंत्र जप करने वाले का खान-पान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।