शनि न्याय के देवता माने जाते हैं. पर फिर भी उनको और उनसे पड़ने वाली साढ़ेसाती को लेकर भय का एक माहौल है जो सही नहीं है। इसलिए जानते हैं क्या होती है साढ़ेसाती और कैसे उसके विपरीत परिणामों से बचा जाये।
शनि की साढ़ेसाती
दरअसल शनि हर राशि पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है। जब यह प्रभाव किसी राशि के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं। शनि जब भी किसी राशि से बारहवें रहता है उसी राशी में रहता है या उस राशी से दूसरे रहता है तो उस राशी पर साढ़ेसाती चलने लगती है। शनि एक राशि पर ढाई वर्ष रहता है और एक साथ तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है। ढाई-ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है।
क्या है शनि की ढैया?
राशियों पर भ्रमण के दौरान जब शनि किसी राशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में आता है तो इसको शनि की ढैया कहा जाता है। यह शनि के एक राशि पर भ्रमण के दौरान ही रहता है शनि एक राशि पर ढाई वर्ष तक रहता है इसलिए इसे ढैया कहा जाता है।
लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है परन्तु यह जरुरी नहीं है। इसमें सबसे पहले देखना होगा कि उस मनुष्य की व्यक्तिगत दशा क्या है। इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी। तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैया का फल बुरा होगा या अच्छा। साढ़ेसाती में व्यक्ति को अच्छे और बुरे की पहचान हो जाती है। व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूर्ण प्रयोग करता है। व्यक्ति बहुत तेजी से उंचाइयों तक पहुंच जाता है। रुके हुए या बंद कैरियर में सफलता मिलती है। व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है। व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं।
शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
नित्य सायं शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
अगर कष्ट ज्यादा हो तो शनिवार को छाया दान भी करें।
भोजन में सरसों के तेल काले चने और गुड़ का प्रयोग करें।
अपना आचरण और व्यवहार अच्छा बनाये रखें।