वॉशिंगटन: नासा ने शोध किया था कि आर्टिफिशियल ग्रैविटी मानव शरीर पर क्या असर दिखाती है। इसके लिए कुछ लोगों की भर्तियां की गई थीं जिनका काम सिर्फ बिस्तर पर लेटे रहने का था। दो महीने के लिए ये लोग नासा की निगरानी में रहे और इसके लिए प्रतिभागियों को 18500 अमेरिकी डॉलर यानी 14.8 लाख रुपए दिए गए थे। लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था जैसा सुनने में लगता है। चुने गए 24 लोगों ने 60 दिन लेटकर बिताए थे। सभी काम जैसे खाना और आराम की जो भी गतिविधियां थी वह लेटकर की गई।
इस शोध से वैज्ञानिक उन बदलावों को देख पाएंगे जो अंतरिक्ष उड़ान के दौरान भारहीनता की वजह से एस्ट्रोनॉट्स के शरीर में होते हैं। इस शोध के लिए प्रतिभागियों को पहले ही चुन लिया गया है। लेकिन लोगों को चुनते समय इसका ध्यान रखा जाता है कि उनके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षण एस्ट्रोनॉट्स से मिलते जुलते हों।
दो महीने में लाखों कमाना भले ही आसान लगता हो लेकिन लेटते समय आपको अपना सिर छह डिग्री नीचे झुकाकर रखना था। ऐसा तब भी करना होगा जब आप खा रहे हों या टॉयलेट इस्तेमाल कर रहे हों। नासा के लिए बेड रेस्ट स्टडी करने वाले सीनियर साइंटिस्ट रोनी क्रॉमवेल का कहना है कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम इसतरह के लोगों को चुनें जो दो महीने बिस्तर पर बिताने के लिए मानसिक रूप से तैयार हों। इसके लिए हर कोई कंफर्टेबल नहीं होता। हर व्यक्ति बिस्तर में लंबा समय नहीं गुजार सकता।