नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के सुल्तानपुरी–कंझावला इलाके की सड़क पर आधी रात को बेकाबू शोहदों द्वारा कथित रूप से कार से कुचल कर मार डाली गई। बूढ़ी बीमार मां की लाठी व 4-5 छोटे भाई-बहनों की इकलौती पालनहार 20 साल की बेकसूर युवती की मौत ने देश को हिला कर रख दिया है।
31 दिसंबर 2022 और 1 जनवरी 2023 की दरम्यानी रात हुए उस हादसे ने न केवल परिवार को कभी न भरने वाला नासूर या कहिए जख्म दिया है। बल्कि दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी निजी तौर पर इस कांड ने शर्मसार कर डाला है अपने अधिकार क्षेत्र की सड़क पर हुए इस शर्मसार कर डालने वाले कांड में खुद दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने स्वीकार किया है कि घटना जघन्य और शर्मनाक है। घटना को अंजाम देने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मुलजिमों को उनके द्वारा लड़की के साथ पेश दरिंदगी की सजा जरूर मिलेगी।
इस तमाम कोहराम के बीच मगर मामले पर अब मिट्टी डालकर उसे समेटने में जुटी दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोरा मगर खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। उन्होंने उप-राज्यपाल द्वारा उन्हें तलब किए जाने के बाद भी आमजन यानी जनता के सामने आकर इस बारे में राहत के दो शब्द बोलना भी गंवारा नहीं किया है। आखिर क्यों? घटना के पीड़ित परिवार और गुस्साई जनता के इस सवाल का जवाब देना न देना दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अपना निजी निर्णय हो सकता है।
इस बीच मगर घटना को लेकर जनमानस और देश के कानून विशेषज्ञों व पुलिस के ही पूर्व पड़तालियों के जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं। घटना के बाद दिल्ली पुलिस के रवैये से खार खाए बैठी गुस्साई दिल्ली की जनता और देश के मशहूर पूर्व पुलिस पड़तालियों के हवाले से हासिल कुछ सवाल यहां अपने पाठकों तक पहुंचा रहा है। जिनके जवाब आज नहीं तो कल। जनता को नहीं तो आने वाले कल में अदालत में ही सही देने ही होंगे।