घरों में बिजली के उपकरणों को हम अपनी सुविधा के अनुसार स्थापित कर लेते हैं। अगर इन्हें वास्तु के अनुकूल दिशा में रखा जाए तो जीवन में सहूलियत रहती है और स्वास्थ्य भी प्रभावित नहीं होता। चाहे बिजली का मीटर हो या फ्रिज, वॉशिंग मशीन, कंप्यूटर, टीवी या फिर बिजली के अन्य उपकरण, अमूमन लोग इन्हें अपनी सहूलियत के अनुसार घर में स्थान देते हैं लेकिन वास्तु कहता है कि इन्हें अगर अनुकूल दिशा में स्थान दिया जाए तो जीवन में अधिक सहूलियत रहती है। कहने का आशय यह है कि बिजली के उपकरणों का सही दिशा में नहीं होना, सीधे-सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
जिस प्रकार ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा का संबंध आर्थिक समृद्धि से माना जाता है, उसी प्रकार आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा का संबंध बहुत हद तक स्वास्थ्य से होता है। अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली यह दिशा बिजली उपकरणों को रखने के लिए सर्वोचित समझी जाती है। घर में प्रवेश द्वार बनाने के लिए या बोरवैल एवं शयन-कक्ष बनाने के लिए जिस तरह हम वास्तु नियमावली का अनुसरण करते हैं, उसी प्रकार बिजली उपकरणों को स्थापित करने के लिए भी वास्तु सिद्धांतों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
वास्तु की दृष्टि से महत्व की बात आती है, तो उत्तर-पूर्व के बाद बारी दक्षिण-पूर्व की है। इस कोण को वास्तुदोष से मुक्त रखना अत्यंत आवश्यक होता है। यह दिशा अग्नि तत्व का स्थान है। इसलिए बिजली के सभी उपकरण और मीटर, बिजली का नियंत्रण और वितरण यहीं से होना चाहिए। ऐसा करके अग्नि तत्व को संतुलन में रखा जा सकता है।
विदित हो कि अग्नि तत्व का असंतुलित होना कई किस्म के रोगों को आमंत्रित करता है। अगर इन दोषों का निवारण न किया जाए तो कई बार साधारण बीमारियां भी गंभीर रूप ले लेती हैं और परिवार के सदस्यों को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। बिजली के उपकरण जैसे इनवर्टर, ट्रांसफार्मर, फ्रिज आदि ऊष्मा यानी हीट उत्पन्न करते हैं, इसलिए वास्तुशास्त्र में इनके लिए आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व को ठीक स्थान बताया गया है। रसोईघर के लिए भी यह दिशा उपयुक्त मानी जाती है।
आइए, जानते हैं आग्नेय कोण से जुड़े सामान्य वास्तु दोष और उनके निवारण के उपाय
अगर कोई व्यक्ति इस दिशा के गलत प्रयोग के कारण वास्तु दोषों से ग्रस्त किसी मकान में रह रहा है तो नीचे दिए गए सुझावों को अपनाकर उन दोषों के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है।
अग्नि तत्व के असंतुलन से परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, वैवाहिक और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं। इन खतरों
को कम करने के लिए अग्नि तत्व को शांत।
करना आवश्यक होता है। इसके लिए दक्षिण-पूर्व कोण में सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए।
सूर्योदय के समय दक्षिण-पूर्व कोण में पूर्व की ओर मुंह करके गायत्री मंत्र का जाप करने से भी लाभ होता है।
मकान के सभी कमरों में इस दिशा को नियंत्रित रखकर मकान के दक्षिण-पूर्व कोण में मौजूद किसी भी वास्तु दोष का निवारण किया जा
सकता है। वॉशिंग मशीन, फ्रिज आदि को दक्षिण-पूर्व कोण में रखने से भी वास्तु दोष दूर हो सकते हैं।