नई दिल्ली: दोस्तों सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ये हम सब जानते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना सबसे ज्यादा प्रिय होता है। मान्यता है कि अगर सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ को उनकी प्रिय चीजें अर्पित की जाएं तो श्रद्धालु की हर मनोकामना जरुर पूरी होती है। लेकिन आज हम जो आपको बताने जा रहे है उससे बारे में आप जरुर अंजान होंगे, हम आपको बताएंगे भगवान भोले भंडारी से जुड़े वो रोचक रहस्य जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.
क्यों गर्भगृह में विराजमान नहीं होते शिवलिंग ?
क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग को गर्भगृह में विराजमान क्यों नहीं किया जाता। भगवान शिव ऐसे अकेले देव हैं जो गर्भगृह में विराजमान नहीं होते हैं. इसका एक कारण उनका बैरागी होना भी माना जाता है. शिवजी का एक रुप बैरागी बाबा भी है तो ऐसे में स्त्रियों के लिए शिवलिंग की पूजा करना वर्जित माना गया है. हालांकि शिवलिंग और मूर्ति रूप में महिलाएं भगवान शिव के दूर से दर्शन कर सकती हैं.
क्यों शिवलिंग की तरफ होता है नंदी का मुंह ?
मान्यताओं और पुराणिक कथाओं के अनुरुप किसी भी शिव मंदिर में भगवान शिव से पहले उनके वाहन नंदी जी के दर्शन को बहुत आवश्यक और शुभ माना जाता है. शिव मंदिर में नंदी देवता का मुंह शिवलिंग की तरफ होता है. जिसके पीछे का कारण ये है कि नंदी जी की नजर अपने आराध्य की ओर हमेशा रहती है. वह हमेशा भगवान शिव को भक्ति भाव से देखते ही रहते हैं. नंदी के बारे में यह भी माना जाता है कि यह पुरुषार्थ का प्रतीक है। साथ ही मान्यता है कि अगर नंदी जी के कान में अपनी मुराद बोली जाए तो वो भगवान शिव तक जरुर पहुंचती है।
क्यों प्रिय है शिवजी को बेलपत्र ?
समुद्र मंथन की कथा तो आपको मालूम ही होगी, इसका भेद भी उसी समुद्र मंथन की कथा में छिपा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तभी उसमें से विष का घड़ा भी निकला. विष के घड़े को न तो देवता और न ही दैत्य लेने को तैयार थे. तब भगवान शिव ने इस विष से सभी की रक्षा करने के लिए विषपान किया था. विष के प्रभाव से शिव जी का मस्तिष्क गर्म हो गया. ऐसे समय में देवताओं ने शिवजी के मस्तिष्क पर जल उड़ेलना शुरू किया और बेलपत्र उनके मस्तक पर रखने शुरु किए जिससे मस्तिष्क की गर्मी कम हुई. बेल के पत्तों की तासीर भी ठंडी होती है इसलिए तभी से शिव जी को बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा. बेलपत्र और जल से शिव जी का मस्तिष्क शीतल रहता और उन्हें शांति मिलती है. इसलिए बेलपत्र और जल से पूजा करने वाले पर शिव जी प्रसन्न होते हैं.
शिव जी को क्यों कहा जाता है भोलेनाथ?
भगवान शिव को विभिन्न नामों से पुकारा और पूजा जाता है. भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है. भोलेनाथ यानी जल्दी प्रसन्न होने वाले देव भगवान शंकर की आराधना और उनको प्रसन्न करने के लिए विशेष साम्रगी की जरूरत नहीं होती है. भगवान शिव जल, पत्तियां और तरह -तरह के कंदमूल को अर्पित करने से ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं.
शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों ?
शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन और जल चढ़ाने के बाद लोग शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं. शास्त्रों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने के बारे में कहा गया है. शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा जलाधारी के आगे निकले हुए भाग तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर पूरी करें. इसे शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है.