बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए उनमें अनुशासन का भाग जगाना भी जरुरी है। इसलिए उसे प्यार देने के साथ ही थोड़ी बहुत सख्ती भी जरुरी है। इससे बच्चा सही और गलत का अंतर कर सकता है। इसलिए बच्चा अगर कभी भी अनुशासन तोड़ता है तो उसके सजा देना भी जरुरी है ताकि वह अपनी गलती समझ सके। हां यह सजा ज्यादा कठिन नहीं होनी चाहिये। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे के साथ संबंध बेहतर बनाए रहते हुये, संयम के साथ, कैसे उसे अनुशासित किया जाये, तो बस आपको कुछ अपाय करने होंगे।
अपने बच्चे को स्वाभाविक परिणामों के बारे में शिक्षा दीजिये। अपने बच्चे को उसके बुरे व्यवहार के स्वाभाविक परिणामों के संबंध में समझा कर आप उससे होनी वाली निराशा की जानकारी दे सकते हैं और उसे बता सकते हैं कि उसका बुरा व्यवहार उसे दुखी कर सकता है जिससे उसे पछतावा होगा। कठिन परिस्थितियों में से उसे निकालने के स्थान पर, बच्चे को उसके नकारात्मक कृत्यों से स्वयं ही निबटने दीजिये। स्वाभाविक परिणामों को समझने के लिए, बच्चे को कम से कम छः वर्ष का होना चाहिए।
अगर बच्चा कोई खिलौना तोड़ देता है या वह उसे धूप में छोड़ कर नष्ट कर देता है, तब एकदम उसे नया खिलौना मत दिलवाइए। बच्चे को कुछ समय तक बिना खिलौने के रहने दीजिये, और उससे बच्चा अपनी चीजों की ठीक से देखभाल करना सीख जाएगा। बच्चे को ज़िम्मेदारी की शिक्षा दीजिये। यदि बच्चा अपना गृहकार्य टीवी देखने के कारण नहीं कर पाया है तो उसका गृहकार्य पूरा कराने में उसकी मदद करने के स्थान पर, बच्चे को बुरे ग्रेड से उत्पन्न होने वाली निराशा का सामना करने दीजिये।
यदि बच्चे को अपने बुरे व्यवहार के कारण किसी पार्टी में नहीं निमंत्रित किया गया है, तब उसे यह समझ में आने दीजिये कि यदि उसका व्यवहार उस बच्चे के साथ कुछ और होता तब उसे निमंत्रित किया जा सकता था।
अपने बच्चे को तर्कसंगत परिणामों की शिक्षा दीजिये। तर्कसंगत परिणाम वे परिणाम होते हैं जो आप के अनुसार बच्चे के बुरे व्यवहार के परिणामस्वरूप उत्पन्न होंगे। इनको सीधे सीधे बच्चे के व्यवहार से सम्बद्ध होना चाहिए ताकि बच्चा, भविष्य में उनको नहीं करने की शिक्षा प्राप्त कर सके। हर प्रकार के बुरे व्यवहार का तर्कसंगत परिणाम होना चाहिए, और परिणाम समय से पहले ही बता दिये जाने चाहिए।
यदि बच्चा अपने खिलौने संभाल कर नहीं रखता है तब उसे एक सप्ताह तक खिलौने न दें।
यदि आप बच्चे को टी वी पर कुछ गैरजरुरी कार्यक्रम देखते हुये पाएँ तो एक सप्ताह के लिए टी वी की सुविधा बंद कर दीजिये।
अगर बच्चा अच्छा व्यवहार नहीं करता तो उसे अपने मित्रों के साथ मत खेलने जाने दीजिये। इससे उसे सबक मिलेगा।
अपने बच्चे को सकारात्मक अनुशासन विधियों की शिक्षा दीजिये: सकारात्मक अनुशासन बच्चे के साथ कार्य की ऐसी विधि है, जिसके अनुसार इस प्रकार के सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुँचने में सहायता मिलती है जिससे कि बच्चा समझ सके कि बुरे व्यवहार के परिणाम क्या होंगे और वह भविष्य में उनसे बच सके। बच्चे को सकारात्मक रूप से अनुशासित करने के लिए आपको बच्चे के साथ बैठ कर उसके बुरे व्यवहार के संबंध में चर्चा करनी चाहिए और क्या क्या जा सकता है इस पर विचार करना चाहिए।
बच्चे को पुरस्कृत करने की प्रणाली भी निर्धारित करिए: पुरस्कृत करने की पद्धति भी निर्धारित की जानी चाहिए, ताकि सकारात्मक व्यवहार के सकारात्मक परिणाम भी हो सकें। भूलिए मत कि अच्छे व्यवहार को सुदृढ़ करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बुरे व्यवहार को अनुशासित करना। बच्चे को यह दिखाने से कि, ठीक व्यवहार कैसे किया जा सकता है, उसको यह समझने में सहायता मिलेगी कि उसे क्या नहीं करना चाहिए।
भाषण ना दें : ये पद्धतियाँ न केवल प्रभावहीन होती हैं, बल्कि इनके कारण आपका बच्चा आपसे नाराज़ हो कर आपकी उपेक्षा भी कर सकता है तथा आपके शब्दों और कृत्यों से उसे मानसिक और शारीरिक आघात भी लग सकता है।